Sunday, 6 September 2020

30-08-2020 (Gulmohar)

गुलमोहर
********
मैं सोचता था 
किसी दिन चुपके से
लगा आऊंगा-
गुलमोहर का एक पौधा,
आंगन के उस छोर पर
और करूंगा इंतजार-
उसके बडे़ होने का।
फिर एक दिन
फूटने लगेंगी उस पर कलियां
खिलखिला उठेंगे फूल
आसपास खडे़ पेड़-पौधों से
नजरें चुराकर
बिखेरेंगे मधुर मुस्कान। 
तब एक दिन-
वह पूछेगी-
किसने लगाया होगा,
गुलमोहर का यह पौधा?
कितना आकर्षण है
इसके फूलों में,
जी करता है घंटों गुजारूं
इसकी छांव में
तुम्हारी तरह
बेफिकरी के साथ।
फिर वह
मेरे करीब आएगी और-
बैठ जाएगी
होठों पे लिए
मंद-मंद मुस्कान
मैं उससे पूछूंगा
अगर तुम्हें मालूम पड़ जाए
उसके बारे में
जिसने रोपी हैं इसकी जडे़ं
तो क्या
वह भी ऐसा ही
मनभावन लगेगा तुम्हें
क्या कहोगी तब उससे तुम?
तब वह कहेगी-
जड़ दूंगी उसके गाल पर 
स्नेह का चुंबन
और-
बेसाख्ता लिपट जाऊंगी
उसके सीने से।
यह सुनकर-
खिंच आईं मेरी आंखों में
गुलाबी डोरियां
फिर मैं
धीरे-धीरे उतरने लगा
गहराइयों में
उसकी झील-सी आंखों की।
भूल गया
खुद का अस्तित्व 
कि तभी अचानक-
न जाने कैसे
उलझ गया मेरा पांव
पास ही तिरछे पडे़
एक बडे़ से पत्थर से
निकल पडी़ होठों से चीख
भंग हो गई तंद्रा-
मानो मैं आसमान से
गिर पडा़ हूं जमीन पर
फिर-
सिर को झटककर
चारों तरफ घुमाई निगाह
तो कहीं नजर नहीं आया
गुलमोहर का,
वो खूबसूरत पेड़,
न गुलमोहर की छांव में बैठी वो
कुछ भी तो नहीं था वहां,
सिवाय सन्नाटे के...।
***********
@दिनेश कुकरेती
_______________________________________________________________________

Gulmohar
********

 I used to think
 Someday secretly
 Will come
 A plant of Gulmohar,
 At the end of the courtyard
 And I will wait
 To grow up.
 then one day
 Buds will start bursting
 Flowers will blossom
 From trees and trees standing nearby
 Stole eyes
 A sweet smile will spread.
 Then one day-
 She will ask
 Who would have planted,
 This plant of Gulmohar?
 What a charm
 In its flowers,
 I live for hours
 Under its shade
 Like you
 With carelessness.
 then she
 Will come closer to me and-
 Will sit
 On lips
 Light smile
 I will ask him
 If you know
 About that
 Who has planted their roots
 So what
 That too
 You will feel pleasing
 What will you say to him then?
 Then she will say-
 Will root on her cheek
 Sneha's kiss
 And-
 I will go with a crutch
 From his chest.
 Hearing this-
 My eyes got drawn
 Pink cords
 Then i
 Slowly descending
 In the depths
 Of his lake eyes.
 forgot
 Own existence
 Then suddenly
 do not know how
 My leg got tangled
 Lying diagonally nearby
 With a big stone
 Scream out of lips
 Sleep was disturbed
 As if from the sky
 Fall to the ground
 Again-
 Jerking head
 Turned around
 So nowhere
 Of Gulmohar,
 Those beautiful trees,
 Neither she sat in the shade of Gulmohar
 There was nothing there,
 Except for silence….
 ***********

 @Dinesh Kukreti

1 comment: