Tuesday, 22 September 2020

Daughter














बेटी
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पहली बेटी के आते ही
खुशियों से भर जाता है घर
उल्लास में डूब जाता है परिवार
आकार लेने लगते हैं सपने
बलवती होने लगती हैं
दादी की उम्मीदें
जब पोती की किलकारियां सुन
उससे बतियाती है दादी
कहती है,
घर की लक्ष्मी है मेरी लाडली
इसके शुभ कदम
मेरे पोते को लेकर आएंगे 
इस घर में
पोती के मन में कूट-कूटकर
भर देती है यह बात
कि
अब उसके भाई को आना है
धीरे-धीरे बोझिल होने लगता है
घर का खुशियों भरा माहौल
बहू भी रहने लगती है चिंतित
अगर ऐसा न हुआ तो...?
हे भगवान!
तेरे ही हाथों में है
मेरा सुखी संसार
फिर वह पति से शेयर करती है
अपनी चिंता
देख रहे हो ना-
कितनी बेताब है
खुशी की दादी
पोते का मुंह देखने को।
पति उसे समझाना चाहता है
पर, शब्द घुटकर रह जाते हैं
कंठ में सूझता नहीं कि
कैसे ढाढस बंधाए पत्नी को
समझ आने लगता है कि
खोखली हैं...
बराबरी की बातें
और...
अब उसके पास
इंतजार के सिवा
कोई जवाब नहीं है
क्योंकि-
वह बहादुर तो है
पर...
हारे हुओं के लश्कर में है।
          ***
@दिनेश कुकरेती
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Daughter
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As soon as the first daughter arrives
The house is filled with happiness
Family drowns in glee
Dreams take shape
Starts to force
Grandma's expectations
When the granddaughter listened
Grandmother tells her
She says
Home's laxmi is my dear
Auspicious steps
Bring my grandson
In this house
Grand-heartedly
Heals it
That
Now his brother has to come
Slowly becomes cumbersome
Happy atmosphere at home
Daughter-in-law also starts worried
If it doesn't happen ...?
Oh God!
In your hands
My happy world
Then she shares it with her husband
Your concern
Are you looking?
How desperate
Khushi's grandmother
To see the grandson's mouth.
Husband wants to convince her
But the words remain suffocating
I do not understand that
How to bind your wife
Understand that
Are hollow ...
On par
And...
now with
Except wait
There is no answer
Because-
He is brave
On...
It is in the let of the losers.

***

@ Dinesh Kukreti

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